आलिया भट्ट की ‘जिगरा’ के ट्रेडमार्क विवाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया मध्यस्था का आदेश

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दिल्ली हाई कोर्ट ने आज आलिया भट्ट स्टारर फिल्म जिगरा के एक सीन में एमएसएफ ट्रेडमार्क के इस्तेमाल को लेकर धर्मा प्रोडक्शंस के खिलाफ मेडिसिन्स सैन्स फ्रंटियर्स/एमएसएफ (डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स) द्वारा दायर एक मुकदमे को मध्यस्थता के लिए भेज दिया है. इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई की तारीख भी दे दी गई है.

दरअसल मेडिसिन्स सेन्स फ्रंटियर्स/MSF (Doctors without Borders) ने भट्ट की फिल्म जिगरा के एक सीन पर आपत्ति जताते हुए धर्मा प्रोडक्शन्स के खिलाफ मुकदमा दायर किया था . फिल्म के सीन में MSF ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करके फिल्म के कैरेक्टर्स को MSF सदस्यों का रूप धारण कर अवैध रूप से अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को पार करते हुए दिखाया गया है. इसे लेकर  MSF ने कहा है कि इस सीन में उसके ट्रेडमार्क का अनऑथराइज इस्तेमाल करना अपमानजनक है और उसके ट्रेडमार्क को कलंकित करता है.

जस्टिस मिनी पुष्करणा की बेंच ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया और 24 दिसंबर को दोनों पक्षों को मध्यस्थता केंद्र के सामने प्रेजेंट रहने का आदेश दिया है हाई कोर्ट में अब इस मामले पर अगली सुनवाई 30 जनवरी, 2025 को होगी.

बता दें कि जिगरा 11 अक्टूबर को दशहरा वीकेंड के दौरान सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में आलिया भट्ट और वेदांग रैना ने अहम रोल प्ले किया है. इसे धर्मा प्रोडक्शंस और इटरनल सनशाइन प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित किया गया है. हालांकि ये फिल्म रिलीज के बाद कई विवादों में फंस गई. इसी के साथ ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई. फिलहाल ये फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम हो रही है. इसे ओटीटी के दिग्गज प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर देखा जा सकता है.

जिगरा की कहानी सत्या (आलिया भट्ट) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने भाई अंकुर (वेदांग रैना) को एक विदेशी जेल में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद उसे बचाने के लिए हर जद्दोजहद करती है और कई मुश्किलों को पार करती है. सत्या एक खतरनाक मिशन पर निकलती है और अपने भाई विदेशी जेल से निकालने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहती है.