बाराबंकीः श्रीरुद्रात्मक हनुमत महायज्ञ में सुनाई भगवान राम जन्म कथा

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विधान केसरी समाचार

जैदपुर/बाराबंकी। विकास खण्ड मसौली की ग्राम पंचायत गुरेला के ग्राम सिसवारा स्थित श्री दिगम्बर नाथ मंदिर मे स्वामी विनोदाचार्य दासजी महाराज की अध्यक्षता में चल रहे श्रीरुद्रात्मक हनुमत महायज्ञ एवं मानस वेदान्त संत सम्मेलन अमृत महोत्सव में नेमिषरण से आये कथवाचक अरुण व्यास मानस लहरी ने भगवान राम जन्म कथा में कहा कि अवधपुरी में एक रघुकुलशिरोमणि दशरथ नाम के राजा थे, जिनका नाम वेदों में विख्यात है। इनकी तीन रानियां है। कौश्ल्या , कैकई और सुमित्रा । इनके हृदय में भक्ति भरी हुई है। 3 विवाह हुए है लेकिन दुःख एक बात का है। एक बार भूपति मन माहीं। भै गलानि मोरें सुत नाहीं एक बार राजा के मन में बड़ी ग्लानि हुई कि मेरे पुत्र नहीं है।

एक बार माता अरुन्धति , जो वशिष्ठ जी की धर्मपत्नी है उनके गोद में एक बालक है- अपने पुत्र को लेकर राजमहल में आई तो दशरथ जी ने गालों को छुआ दशरथ जी बोले की माँ- मैंने तो धीरे से छुआ। ये रो क्यू रहा है?माता अरुन्धति बोली की इसलिए रो रहा है आपको संतान नही है तो ये बालक किसका गुरु बनेगा। आपकी गद्दी तो सूनी रह जाएगी और परम्परा टूट जाएगी जैसे ही दशरथ जी ने बात सुनी तो उनके मन में ग्लानि आई है।

जैसे ही हृदय में ग्लानि आई है तो गुरु वशिष्ठ जी के चरणों में जाकर चरण पकड़ लिए है। राजा ने जाकर अपना दुःख-सुख गुरु को सुना दिया है। गुरुदेव ने तुरंत आशीर्वाद दिया है। धीरज रखो- आपके 4 पुत्र होंगे।

गुरु की बात सुनते ही हर्ष हो गया है। तुरंत श्रृंगी ऋषि को बुलाया गया है और पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया गया है। जैसे ही यज्ञ पूर्ण हुआ है। अग्नि देव हाथ में चरु (खीर) लेकर प्रकट हो गए है। वशिष्ठ जी ने कहा है की तीनो रानियों में आप इस प्रशाद को बाँट दीजिये।

आधा हिस्सा पूरा महारानी कौसल्या को दे दिया गया है। अब बाकी बचे आधे के 2 हिस्से किये गए है। उसमे से एक हिस्सा पूरा-पूरा कैकई को मिला है। अब एक हिस्सा जो बचा है उसके भी 2 हिस्से किये गए है। और एक हिस्सा कौसल्या को दिया है और कौसल्या जी ने अपने हाथ से सुमित्रा जी को दिया है जिससे लक्ष्मण जी प्रकट हुए है। और एक हिस्सा केकई जी को दिया है और कैकई ने सुमित्रा को खिलाया है। जिससे शत्रुघ्न प्रकट हुए है। इस प्रकार सभी रानियां गर्भवती हुई है। नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता मध्यदविस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा पवित्र चैत्र का महीना था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित् मुहूर्त था। सभी देवता भगवान की स्तुति करके अपने-अपने लोकों में पधारे है। और उसी समय आज अवधपुरी के दिव्य भवन के दिव्य कक्ष में भगवान श्री राम प्रकट हो गए है। इस मौके पर पुजारी शिव कुमार वर्मा,गजेंद्र नाथ वर्मा, सुरेन्द्र नाथ वर्मा, महेंद्र वर्मा, दिलीप कुमार,राजेश कुमार, रामकृपाल, ओमकार यादव, चैधरी शैलेन्द्र कुमार वर्मा, किशोरी लाल,रिषी यादव, अरविंद वर्मा, सहित भारी संख्या में भक्त गण मौजूद रहे।