बीजेपी विधायक और उनके भाई सहित 16 लोगों पर मामला दर्ज

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बदायूं की बिल्सी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हरीश शाक्य और उनके भाई सहित 16 लोगों के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मामला दर्ज किया गया है। इन लोगों पर यौन उत्पीड़न, फर्जी मुकदमे में फंसवाने और करोड़ों की जमीन हड़पने के आरोप हैं। सीजेएम सेकेंड कोर्ट ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। पुलिस को 10 दिन में आदेश का पालन कर रिपोर्ट सौंपने का भी आदेश मिला था। इसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

पीड़ित ने ACJM-2 की अदालत में न्याय की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने पुलिस को मामला दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए हैं। वहीं, विधायक का कहना है कि उनके खिलाफ षड्यंत्र किया जा रहा है।

बिल्सी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक हरीश शाक्य और उनके दो भाइयों सहित कुल 16 लोगों पर ललित नाम के व्यक्ति ने आरोप लगाया है। आरोप है कि विधायक और उनके साथियों ने उसकी जमीन हड़पने को लेकर उसे प्रताड़ित किया। पीड़ित ने बताया “विधायक से 80 लाख रुपया बीघा जमीन का रेट तय हो गया था। हमारी कुल 17 बीघा जमीन की बात हुई, लेकिन वह जबरदस्ती जमीन का एग्रीमेंट करवाना चाह रहे थे। मना करने पर उन लोगों ने घर पर बुला कर मेरी पत्नी के साथ दुष्कर्म किया और धमकी दी कि तेरे ऊपर पुलिस से फर्जी केस दर्ज कराऊंगा और जेल भिजवा दूंगा।

पीड़ित ने इस आशय का एक प्रार्थना पत्र न्यायलय में दिया जिसपर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय ने एक आदेश जारी करते हुए थाना सिविल लाइन को यह आदेश दिया की सुसंगत धाराओं मे मामला दर्ज कर जांच करे और दस दिन मे कोर्ट को पूरी कार्रवाई से अवगत करायें। वहीं पीड़ित की मां कहना है कि विधायक को प्रॉपर्टी नहीं मिलने से उसने हमारा जीना हराम कर दिया पिछले दो वर्ष से यह लोग हमारे पीछे पड़े हैं विधायक ने तो हमको सब तरह से खो दिया। हमारी इज्जत और हमारी सम्पति सब तरह से हमें तबाह कर दिया।

पूरे मामले पर बिल्सी विधायक हरीश शाक्य का कहना है कि उनके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र किया जा रहा है। इससे पूर्व जिस व्यक्ति ने प्रार्थना पत्र दिया है उसके द्वारा रजिस्ट्री में जाकर लगभग 60 बैनामे किए गए हैं। अगर मैं किसी प्रकार का दवाब बन रहा था तो वह बार-बार रजिस्ट्री जाकर बैनामा कैसे कर सकता है। यह पूरा मामला मेरी राजनीतिक छवि को धूमिल करने का है। उन्होंने कहा कि पीड़ित पक्ष ने जो यौन शोषण के आरोप लगाये हैं उसके बाद दिये गये प्रार्थना पत्र में इस घटना का कोई जिक्र नहीं है।