बीसलपुर: लोगों को स्वस्थ और निरोगी बनाने की अलख जगा रहे हैं योगाचार्य रानू परमार्थी
विधान केसरी समाचार
बीसलपुर। आजकल की भागदौड़ भरे जीवन में योग को अपनाकर लोगों को निरोगी व स्वस्थ बनाने की अलख योग प्रशिक्षक अखंड प्रताप शर्मा उर्फ रानू परमार्थी जगा रहे हैं। उनसे योग का प्रशिक्षण प्राप्त कर कई लोग असाध्य रोगों से मुक्ति पाकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
योग की जीवनदायिनी गंगा बहाने वाले योगाचार्य अखंड प्रताप शर्मा उर्फ रानू परमार्थी शाहजहांपुर जनपद के कस्बा तिलहर के रहने वाले हैं। किशोरावस्था से ही उन्हें योग के प्रति लगाव हो गया था। योग गुरु स्वामी रामदेव से वह काफी प्रभावित थे। बीकॉम ,बीपीएड एमएसडब्ल्यू, तथा उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय से योगाचार्य की डिग्री हासिल करने के बाद वर्ष 2008 में योग गुरु स्वामी रामदेव से योग का प्रशिक्षण प्राप्त कर उनके निर्देश पर समाज व राष्ट्र को निरोगी व स्वस्थ बनाने का संकल्प लेकर योग के माध्यम से लोगों को जागरूक बनाने की मुहिम में जुट गए। 2013 से बेसिक शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षा के अनुदेशक के पद पर रहते हुए वह सुबह जल्दी गांव-गांव जाकर निशुल्क योग शिविरों के माध्यम से सेवा कार्य को करते थे और बाद में अपने विद्यालय तथा बीएसए के आदेश पर अन्य विद्यालयों में जाकर भी विद्यार्थियों को योग का प्रशिक्षण दिया करते थे। वर्ष 2021 में में उनका चयन आयुष विभाग द्वारा बीसलपुर राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के योग वैलनेस सेंटर पर योग प्रशिक्षक के पद पर हो गया। जहां उन्हें चिकित्सालय में आने वाले मरीजों को योग थेरेपी के माध्यम से रोगों को दूर करने व स्वस्थ रहने के लिए योग क्रियाओं का अभ्यास कराने और समाज को योग के प्रति जागरूक बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सरकारी कार्य के साथ-साथ लोगों को निशुल्क योग प्रशिक्षण देकर असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाना जीवन का लक्ष्य बना लिया है। वर्तमान में योग टीम बीसलपुर का गठन कर मोहल्ला शास्त्री नगर में स्थित गायत्री शक्तिपीठ के हाल में प्रातः 5 बजे से नियमित रूप से योग का शिविर लगाकर लोगों को निशुल्क योगाभ्यास करा रहे हैं। इसके अलावा बेसिक शिक्षा विभाग से लेकर माध्यमिक विद्यालयों, डिग्री कॉलेजों में भी जा जाकर शिविरों का आयोजन कर छात्र छात्राओं को योग का प्रशिक्षण देकर उनके सर्वांगीण विकास व उन्हें व्यसनों व नशे की लत से दूर रहने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।
परमार्थी ने अपने जीवन में योग अनुभव और महत्व साझा करते हुए कहा कि 2 नवंबर वर्ष 2009 बदायूं ककोड़ा मेला में ऊंचाई से छलांग लगाते समय उनकी गर्दन बुरी तरह से चोटिल व फ्रैक्चर हो गई थी, इसके चलते वह पूरे एक माह तक बरेली हॉस्पिटल में बिस्तर पर चित अवस्था में ही पड़े रहे, करवट भी नहीं बदल पाते थे। उनकी स्थिति देखकर उनका इलाज करने वाले डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा (वर्तमान विधायक बिथरी चैनपुर) खुद आश्चर्य में थे कि इतनी गंभीर चोट लगने के बाद भी अभी तक वह जीवित कैसे हैं या उनका शरीर लकवा ग्रस्त क्यों नहीं हुआ। योगाचार्य ने बताया कि बचपन से ही योग के पूर्वाभ्यासी होने के कारण उनके शरीर की सभी मांसपेशियां और नस नाड़ियाँ काफी लचीली थी इसी कारण उनका स्पाइनल कॉर्ड डैमेज नहीं हो पाया और उनकी जान बच गई। वह बिस्तर पर ही लेटे-लेटे ही प्राणायामों का अभ्यास करते रहे और आज वह पूर्ण स्वस्थ होकर पुनः समाज व राष्ट्र को स्वस्थ बनाने की सेवा कार्य में लगे हुए हैं। अन्य जिलों व राज्यों में भी दे चुके हैं प्रशिक्षण गृह जनपद के साथ साथ वह गैर जनपदों मैनपुरी एटा बदायूं तथा चंडीगढ़ पंचकूला जैसे अन्य राज्यों में जाकर भी योग का प्रशिक्षण देते रहते हैं। अपने इसी योग सेवा के जुनून को लेकर वह अब तक लाखों लोगों को योग का प्रशिक्षण प्रदान कर चुके हैं। श्री परमार्थी राज्य स्तर पर हुई योग प्रतियोगिताओं में भी चार बार प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक विजेता रह चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर की योग प्रतियोगिताओं में भी उन्हें पुरस्कृत किया जा चुका है। योग गुरु स्वामी रामदेव उनके द्वारा दिए जाने वाले योग प्रशिक्षण से काफी संतुष्ट हैं इस मुहिम को निरंतर जारी रखने के लिए उन्हें प्रेरित करते रहते हैं। रानू परमार्थी का मन है कि भागदौड़ भरे जीवन में समय के अभाव में लोग स्वस्थ होने के लिए दवाओं का सहारा लेते हैं जिससे स्वस्थ होने की बजाय दवाओं के दुष्परिणाम से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है इसलिए जिस तरह हमें जीने को भोजन की आवश्यकता पड़ती है उसी तरह स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन योग करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रातः अनुलोम विलोम, कपालभाति सूर्य नमस्कार कर ही स्वस्थ रह सकते हैं। नियमित रूप से किया जाने वाला सूक्ष्म व्यायाम ही शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ बनाए रखता है। उन्होंने सुझाव दिया है कि आवश्यकता पड़ने पर हमें केवल आयुर्वेदिक औषधियां ही लेनी चाहिए। एलोपैथिक दवाओं से दूरी बनाए रखें खानपान पर विशेष ध्यान दें। योगाचार्य अपने गुरु बाबा रामदेव के अलावा अपने पिता बेसिक शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्त अध्यापक रामेश्वर दयाल व माता गिरजा देवी को अपना आदर्श मार्गदर्शक मानते हैं। योगाचार्य रानू परमार्थी की पत्नी कमल प्रीत भी योग में स्नातक की डिग्री प्राप्त एक कुशल योग प्रशिक्षिका हैं। वह भी अपने पति की तरह योग के माध्यम से महिलाओं व समाज को स्वस्थ रहने के लिए योग के प्रति जागरूक करने में लगी रहती हैं।