लखनऊः अवैध प्लाटिंग से मालामाल प्रॉपर्टी डीलरः बिजली विभाग के लिए बन रहे नासूर
विधान केसरी समाचार
लखनऊ। प्रदेश की योगी सरकार एवं ऊर्जा मंत्री निरंतर हर एक उपभोक्ता ग्रामीण एवं शहरी नागरिक के घर रोशनी पहुंचाने को प्राथमिकता देने का संदेश अधिकारियों को देते नजर आते हैं सरकार की प्राथमिकता सभी नागरिकों को मूलभूत आवश्यकताएं उपलब्ध कराने की है ऐसे में सीवर पानी एवं बिजली का सुगम उपयोग उन लोगों के लिए दुर्लभ हो जाता है जो कम बजट में अपना एक घर बनाने की चाहत रखते हैं ज्यादातर मामलों में प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा बिजली पानी सीवर पार्क आदि की व्यवस्था करने के सब्ज बाग दिखाए जाते हैं परंतु एक बड़ी संख्या में प्लॉट बिकने के बाद साइट को उसी हाल में छोड़ दिया जाता है
जमीन खरीद कर फंस जाता है ग्राहक
नहीं मिलती कोई भी सुविधा
यदि खरीदार को सही सलामत कब्जा मिल गया उसके बाद किसी तरह जनरेटर के सहारे वह समरसेबल लगाकर पानी का इंतजाम कर लेता है
परंतु बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन पर उसे लाखों का एस्टीमेट जमा करना पड़ता है
विद्युत अधिकारियों का तर्क
इस प्रकार की अवैध कालोनियां विभाग के लिए सर दर्द हैं सरकार के निर्देशानुसार उनके सुगम संयोजन के लिए ₹35 स्क्वायर फीट की योजना लागू की गई है जिससे तमाम निवासी इससे लाभान्वित हो रहे हैं परंतु कुछ गरीब निवासीगण एवं अन्य चतुर उपभोक्ता एस्टीमेट की धनराशि नहीं जमा करना चाहते एवं मात्र संयोजन राशि में ही लाभ पाना चाहते हैं एक जिम्मेदार अधिकारी ने बताया इस योजना के तहत प्लाटिंग क्षेत्र के समस्त प्लाटों के एक चौथाई उपभोक्ताओं द्वारा सामूहिक रूप से आवेदन किए जाने पर वहां पर विभाग द्वारा विद्युत तंत्र विकसित किया जाता है प्रत्येक प्लांट के क्षेत्रफल की गणना कर ₹35 प्रति वर्ग फुट के हिसाब से धनराशि निर्धारित की जाती है इस पर 18% की जीएसटी एवं सामान्य संयोजन शुल्क विभागीय खाते में जमा करने के उपरांत उसे संयोजन प्रदान कर दिया जाता है जबकि चंद लोगों द्वारा अक्सर संयोजन को मुद्दा बनाकर जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन के माध्यम से दबाव बनाकर कार्य करने को विवश किया जाता है इस प्रकार की खबरें प्रचारित प्रसारित होने पर विभागीय छवि धूमिल होती है
क्या कहता है नियम
जबकि कृषि एवं बागवानी की जमीनों को आवासीय में परिवर्तित करने के उपरांत ही उस पर प्लाटिंग की जा सकती है परंतु लाभ कमाने की चाहत में प्रॉपर्टी डीलर नजूल चारागाह तालाब नदियों रेलवे की जमीनों एवं नगर निगम की प्लाटिंग कर देते हैं जो कि बाद में उपभोक्ता की शारीरिक मानसिक आर्थिक प्रार्थना के साथ-साथ पुलिस एवं अदालत के लिए भी बड़ी समस्या बनते हैं संबंधित प्रॉपर्टी डीलर कॉलोनाइजर द्वारा प्लाटिंग क्षेत्र को विकसित किए जाने की पूर्ण जिम्मेदारी निर्धारित होती है आवासीय क्षेत्र में पानी बिजली सड़क सीवर की सुविधा देने का दायित्व बनता है
क्या बोले जिम्मेदार
इस संबंध में प्रशासनिक एवं लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया समय-समय पर हम लोग इस प्रकार के अभियान चलाते हैं जहां भी सरकारी भूमि पर अथवा अवैध प्लाटिंग अतिक्रमण करके की जा रही है वहां पर निरंतर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही चल रही है अब तक लगभग 100 करोड़ से अधिक की जमीन मुक्त कराई जा चुकी है