भारत पर मेहरबान हुई बाइडेन सरकार! जाते-जाते दे दिया बड़ा तोहफा
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल के अंतिम दिनों में उनकी सरकार ने भारत को दो बड़े तोहफे दिए हैं. ये उपहार भारत-अमेरिका संबंधों को और गहरा करने वाले हैं और दोनों देशों के बीच तकनीकी और सुरक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने भारत के कुछ प्रमुख परमाणु संस्थानों को अपने परमाणु नियंत्रण कानून से बाहर कर दिया है. अमेरिकी उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR), और इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) को अपनी ‘एंटिटी लिस्ट’ से हटा दिया है.
‘एंटिटी लिस्ट’ का इस्तेमाल अमेरिका उन संगठनों पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाने के लिए करता है, जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के लिए खतरा बन सकते हैं. इस सूची से बाहर होने का मतलब है कि अब ये भारतीय संस्थान अमेरिकी तकनीक और उपकरणों का उपयोग बिना किसी विशेष प्रतिबंध के कर सकेंगे.
दूसरे बड़े तोहफे के रूप में अमेरिका ने भारत को एडवांस AI चिप्स फायदा उठाने के लिए बिना किसी रोक-टोक की अनुमति दी है. यह कदम भारत को उन 18 देशों की सूची में शामिल करता है, जिन्हें ये विशेष तकनीकी सुविधाएं मिलती हैं.
जहां अमेरिका ने भारत के लिए ये रियायतें दी हैं, वहीं चीन के 11 संगठनों को ‘एंटिटी लिस्ट’ में जोड़ा गया है. यह कदम अमेरिका की उस नीति का हिस्सा है, जो चीन और अन्य विरोधियों की एडवांस सेमीकंडक्टर और AI तकनीकों तक पहुंच को सीमित करना चाहती है.
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने दिल्ली आईआईटी में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले अमेरिकी दौरे के दौरान NSA अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात में इन पर लगे बैन को हटाने पर चर्चा हुई थी. उन्होंने बताया कि अमेरिका ने लगभग 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग के एक परियोजना पर काम करना शुरू किया था, लेकिन इसे पूरी तरह साकार करने का समय अब आया है.
ये कदम भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेंगे, खासकर तकनीकी और सुरक्षा क्षेत्रों में. अमेरिका का यह कदम वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है. इन रियायतों से भारत को अपनी रक्षा, ऊर्जा और तकनीकी क्षमताओं में जबरदस्त सुधार करने का अवसर मिलेगा, जो दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएगा.