प्रयागराजः महाकुम्भ 2025ः भक्ति वेदांत नगर काशी के शिविर में हो रही रामकथा में हुआ मंगलाचरण
विधान केसरी समाचार
प्रयागराज। महाकुम्भ नगर भक्ति वेदान्त नगर काशी, संगम लोवर मार्ग, त्रिवेणी चैराहा, सेक्टर दृ 20 में श्रीमद्जगद्गुरू अनन्तानन्दाचार्य स्वामी डॉ० रामकमलदास वेदांती जी महाराज श्री के शिविर में कथा के चतुर्थ दिवस के प्रारंभ में महाराज श्री ने बताया की रामचरितमानस में जो मंगलाचरण है वह अद्भुत है। इसमें संतों का मंगलाचरण किया गया है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने अगली 4 पंक्तियों में 2 प्रयाग का वर्णन किया है और इन दोनों प्रयाग का दर्शन एक साथ सिर्फ प्रयागराज में ही होता है वह भी कुम्भ के अवसर पर। एक प्रयाग तो यह है जो तीर्थराज प्रयाग के नाम से जानते है और दूसरा प्रयाग है संत समाज यह चलते फिरते तीर्थराज प्रयाग है। और आगे बताया कि जो सन्त होते है वह भी दो प्रकार के होते जैविक तो वह होता है जो कथा प्रवचन आदि का श्रवण करता है और दूसरा संत वह होता है जो कथा श्रवण करने के साथदृसाथ रामभक्ति भी करता है और ऐसे संत का दर्शन करने से आपके पाप नष्ट हो जाते है। संतों के पास हमे देने के लिए पांच चीजें होती है दृ मति, कीरति, गति, भूति, भलाई। रामचरितमानस में मति, कीरति, गति, भूति, भलाई क्रमशः जलचर (जल में रहने वाले प्राणी), थलचल (भूमि पर रहने वाले प्राणी), नभचर (आकाश में रहने वाले प्राणी), जड़ एवं चेतन को यह क्रमशः दिए गए है।