प्रयागराज: महाकुंभ में चुनी जाएगी अखाड़ों की नई सरकाररूआंतरिक व्यवस्था चलाने वाली सभी कार्यकारिणी भंग, पंचायती व्यवस्था लागू हुई

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विधान केसरी समाचार

प्रयागराज । महाकुंभ में अखाड़ों की आंतरिक व्यवस्था चलाने वाली सभी कार्यकारिणी भंग कर दी गई है। अखाड़ों के कामकाज को चलाने वाली सरकार का कार्यकाल महाकुंभ शुरू होने के साथ खत्म हो गया। राष्ट्रपति शासन की तर्ज पर पंचायती व्यवस्था लागू की गई है।अब कुंभ तक अखाड़े का कामकाज इसी रीति से चलेगा। महाकुंभ खत्म होने यानी 26 फरवरी से पहले अखाड़े फिर से अपनी नई सरकार चुनेंगे। उनका कार्यकाल अगले छह साल का होगा।संन्यासी परंपरा के सात अखाड़ों में नागा संन्यासी, महामंडलेश्वर समेत हजारों सदस्य हैं। अखाड़े अपने इस परिवार को चलाने के लिए 8 महंतों वाली अष्टकौशल पर निर्भर होते हैं। अष्टकौशल में शामिल होने वाले 8 महंतों का चुनाव होगा। इनकी मदद के लिए 8 उप महंत भी चुने जाएंगे। 16 सदस्यों की कमेटी सचिव समेत अन्य पदाधिकारी के चयन करती है। आठों महंत अखाड़ों के सभी कामकाज चलाते हैं। पैसों का पूरा हिसाब-किताब भी यही 8 महंत रखते हैं।अखाड़ों में अहम निर्णय पंचों से होता है। इसी वजह से पंचायती अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़ा, तपोनिधि पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा आनंद के नाम से पहले पंचायती शब्द जुड़ा हुआ है। अखाड़ों की परंपरा में आम सहमति से फैसले लिए जाने की परंपरा रही है। सभी काम और फैसले पारदर्शी तरीके से लिए जाते हैं। खास तौर से शिकायत मिलने पर किसी संन्यासी के खिलाफ कार्रवाई पंचायत से ही होती है।