महाकुंभ 2025: किन्नर अखाड़े में भारी संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु

0

 

प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन किया गया है। देश व दुनिया से श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं। इस बीच किन्नर अखाड़े में भारी संख्या में श्रद्धालु आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। किन्नर वर्ग के लिए 10 साल पहले अखाड़ा पंजीकृत कराने के दौरान समुदाय को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। लेकिन उनकी आशीर्वाद लेने पहुच रही श्रद्धालुओं की भीड़ ने उम्मीद जगाई है कि आखिरकार समाज उन्हें स्वीकार करेगा। बता दें कि किन्नर अखाड़े में 3 हजार से अधिक लोग रह रहे हैं और संगम में डुबकी लगा रहे हैं। इसमें से अधिकांश लोग वो हैं जिनके परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था। न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा से बात करते हुए खुद की पहचान महिला के रूप में करने वालीं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पवित्रा नंदन गिरि ने कहा कि समाज ने हमेशा किन्नरों का तिरस्कार किया है।

उन्होंने कहा, ‘हमें हमेशा से हीन भावना से देखा जाता रहा है। जब हमने अपने लिए अखाड़ा पंजीकृत कराना चाहा तो हमारे धर्म को लेकर सवाल उठाए गए थे। हमसे ये पूछा गया कि हमें इसकी आखिर क्या जरूरत है। तमाम विरोधों के बावजूद हमने 10 साल पहले अखाड़े को रजिस्टर कराया और हमारा यह पहला महाकुंभ है। बता दें कि अखाड़े ऐसी संस्थाएं हैं जो विशिष्ट आध्यात्मिक परंपराओं और प्रथाओं के तहत संतों को एक साथ लाती है।’ गिरि ने कहा, आज हम भी संगम में डुबकी लगा सकते हैं, अन्य अखाड़ों की तरह शोभा यात्रा निकाल सकते हैं और अनुष्ठान कर सकते हैं। अखाड़े में भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और हमारा आशीर्वाद ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि समाज में हमें भी स्वीकार किया जाएगा। नर्सिंग में स्नातक तक की पढ़ाई कर चुकीं गिरी ने कहा कि कई ट्रांसजेंडर लोगों के साथ होता है, उसी तरह उनके परिवार ने भी उन्हें छोड़ दिया। उन्होंने कहा, हमारे लिए जीवन कठिन है। बचपन में मैं अपने भाई-बहनों के साथ खेलती थी। इस बात से अनजान कि मैं उनमें से नहीं हूं। एक बार जब मुझे पता चला तो सभी ने मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया जैसे मैं हीन या अछूत हूं। मैंने अपनी शिक्षा भी पूरी की, लेकिन फिर भी भेदभाव का दंश झेलना पड़ा। अखिल भारतीय किन्नर अखाड़ा महाकुंभ में 14वां अखाड़ा है। बता दें कि महाकुंभ में 13 अखाड़ों को तीन समूहों में विभाजित किया गया है। जिसमें सन्यासी (शैव), बैरागी (वैष्णव) और उदासीन है।