अपनी मां से मिलने से पहले नागा साधु करते हैं 21 श्रृंगार, जानें
महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान चल रहा है। ऐसे में अखाड़ों के संत संगम स्नान कर रहे हैं। महाकुंभ में नागा साधुओं की चर्चा हमेशा रहती है, कारण ही इन्हें लेकर बने हुए कुछ रहस्य। ऐसे में आमजन नागा साधुओं के रहस्य के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने के इच्छुक रहते हैं। उनके पहनावे, रहन-सहन से लेकर खाने और सोने के बारे में लोग जानना चाहते हैं। ऐसे में आज हम बात करेंगे नागा साधुओं के श्रृंगार के बारे में…
अभी तक आपने सुना या पढ़ा होगा कि नागा साधु 17 श्रृंगार करते हैं,लेकिन हम आपको बता दें कि वह 21 श्रृंगार करते हैं अपनी मां गंगा से मिलने से पहले। नागा साधु गंगा को अपनी मां मानते हैं और उनसे स्नान से पहले वे 21 श्रृंगार करते हैं। आइए जानते हैं नागा साधुओं के सभी श्रृंगार कौन-कौन से हैं…
श्रृंगार कौन-कौन से हैं?
- भस्मी: नागा साधु अपने शरीर पर भस्मी लगाते हैं। उनका मानना है कि यह जीव की सत्यता का आभास कराती है। वे मौत के बाद भी इसे शरीर पर मलवाते हैं।
- चंदन: हलाहल विष पीने वाले भगवान शिव को चंदन लगाया जाता है, इस नागा साधु भी अपने हाथ, माथे और गले में लगाते हैं।
- रुद्राक्ष: माना जाता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसू हैं। नागा साधु सिर, गले और बाजुओं पर धारण करके रखते हैं। उनका मानना कि इससे उन्हें शिव के साथ एहसास होने की अनुभूति होती है।
- तिलक: नागा साधु त्रिपुंड तिलक लगाते हैं, उनका मानना है कि इससे वे महादेव के भक्त के रूप में पहचाने जाते हैं।
- सूरमा: नागा साधु अपनी आखों में सूरमा लगाते हैं।
- कड़ा: नागा साधु अपने हाथों और पैरों में चांदी, लोहा, तांबा और पीतल का कड़ा पहनते हैं। माना जाता है कि यह भगवान शिव के पैरों में विराजमान है, इससे उन्हें उनके प्रति समर्पित होने की अनुभूति होती है।
- चिमटा: चिमटा एक तरह से नागा साधुओं का अस्त्र भी माना गया है। साथ ही वे इसी से कीर्तन आदि भी करते हैं।
- डमरू: भगवान शिव के हाथों में डमरू विराजमान रहता है, इस कारण नागा साधु भी अपने श्रृंगार में इसे शामिल रखते हैं।
- कमंडल: जल लेकर चलने के लिए नागा साधु अपने साथ कमंडल भी रखते हैं।
- पंचकेश: नागा साधु की जटाएं अलग ही होती है। यह प्राकृतिक रूप से गुथी होती है और इन्हें नागा 5 बार लपेटकर पंचकेश श्रृंगार करते हैं।
- लंगोट: नागा साधु के श्रृंगार में भगवा लंगोट भी शामिल होता है।
- अंगूठी: नागा साधु अपने हाथों में कई प्रकार की अंगूठी भी धारण करते हैं।
- रोली: नागा साधु अपने माथे पर भभूत के अलावा रोली का लेप भी लगाते हैं।
- कुंडल: नागा साधु अपने कानों में चांदी या सोने के बड़े-बड़े कुंडल धारण करते हैं, जो सूर्य और चंद्रमा के प्रतीक होते हैं।
- माला: नागा के श्रृंगार में फूल के मालाएं भी शामिल हैं, जब ये अमृत स्नान के लिए जाते हैं तो इसे अवश्य धारण करते हैं।
- साधना: सर्वमंगल की कामना के लिए नागा साधु जो साधना करते हैं, इसे भी इनका श्रृंगार माना जाता है।
- विभूति का लेप: नागा साधू विभूति का भी लेप लगाते हैं।
वे 5 श्रृंगार जिन्हें मां गंगा से मिलने से पहले नागा साधु करते हैं
नागाओं के 5 शृंगार में से प्रवचन और मुधुर वाणी और मृत्यु के शृंगार शामिल हैं। साथ ही साधना और सेवा नाम के शृंगार को भी मां गंगा से मिलने के बाद हटा देते हैं।