भारत मंडपम में विश्व पुस्तक मेला 2025 का आगाज, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया उद्घाटन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शनिवार (1 फरवरी) को प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में विश्व पुस्तक मेला 2025 का उद्घाटन किया. इस अवसर पर राष्ट्रपति ने पढ़ाई के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि पढ़ना केवल शौक नहीं है बल्कि ये एक परिवर्तनकारी अनुभव है. उन्होंने कहा कि बच्चों में किताबें पढ़ने का शौक विकसित करना राष्ट्र निर्माण में योगदान देने जैसा है. पाठ्यक्रम की किताबों के अलावा बच्चों को अलग-अलग विषयों पर पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए ताकि वे अपनी क्षमताओं को पहचान सकें और एक बेहतर इंसान बन सकें।
राष्ट्रपति मुर्मु ने पुस्तक मेला की महत्ता को रेखांकित करते हुए इसे भारत की सांस्कृतिक विविधता, एकता और प्रभावशाली प्रगति की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति बताया. उन्होंने कहा कि विश्व पुस्तक मेला पाठकों को दुनिया भर के साहित्य से परिचित कराता है. इस मेला में भारत की अलग-अलग भाषाओं और अन्य देशों की भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले कई स्टॉल हैं जो एक ही जगह पर वैश्विक साहित्य का अनुभव प्रदान करते हैं. राष्ट्रपति ने इस साल के मेले के थीम “गणतंत्र भारत के 75 वर्ष” को देश की प्रगति की याद दिलाने वाला और आगे बढ़ने के लिए प्रेरक बताया.
विश्व पुस्तक मेले के उद्घाटन समारोह में कई गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की. इनमें भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव, प्रमुख रूसी लेखक डॉ. एलेक्सी वर्लामोव, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजय कुमार, सचिव स्कूल शिक्षा और साक्षरता विनीत जोशी और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष युवराज मलिक शामिल थे. इन व्यक्तियों ने पुस्तक मेला की सराहना की और इसका महत्व बताया.
विश्व पुस्तक मेला 2025 का आयोजन एक से नौ फरवरी तक भारत मंडपम के हॉल संख्या दो से छह में किया जा रहा है. इस मेले में अलग-अलग देशों जैसे न्यूजीलैंड, जर्मनी, स्पेन, यूएई, इजरायल, नेपाल, जापान, पोलैंड, मिस्र, श्रीलंका, ईरान, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देश भाग लेंगे. यहां पाठकों को तरह-तरह की पुस्तकें पढ़ने का अवसर मिलेगा और वे अपने पसंदीदा लेखकों से मिलकर उनके अनुभवों को शेयर कर सकेंगे. आज के मेले में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता प्रकाश झा, पत्रकार रुबिका लियाकत और प्रेरणादायक वक्ता शिव खेरा पाठकों से जुड़ेंगे.
इस आयोजन के जरिए मेला आयोजक और पुस्तक प्रेमी ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग किताबों से जुड़ें और अपनी सोच को व्यापक करें. राष्ट्रपति मुर्मु ने भी ये संदेश दिया कि किताबों के माध्यम से न केवल जानकारी बढ़ती है बल्कि ये सोच और विचारधारा को भी व्यापक बनाता है जिससे समाज और राष्ट्र का विकास होता है.