प्रयागराज : जरा सी भी लापरवाही कर सकती है आपको अंधा-डॉ संगम सर्जन

 

विधान केसरी समाचार

 

प्रयागराज। आँख शरीर का सबसे नाजुक हिस्सा माना जाता है। आंखें ही तो हैं जो हमें दुनिया की खूबसूरती से रूबरू कराती हैं । और जरा सोचिए अगर हमारी आँखें जरा सी लापरवाही की वजह से खराब हो जायें तो हम इस रंग बिरंगी दुनियाँ को देखने से वंचित रह जाएंगे । आइए आपको डॉक्टर संगम लाल विश्वकर्मा के द्वारा दिए गए इंटरव्यू के जरिए आंखों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण खबरों के बारे में बताते हैं । डॉक्टर संगम लाल विश्वकर्मा बहुत बड़े नेत्र सर्जन भी हैं और साथ ही साथ प्रयागराज स्थित नैनी जेल के कैदियों के भी डॉक्टर हैं ।

 

आमतौर पर जब हमारी आंखों में जलन होता है तो हम उसे एक छोटी सी समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं । जबकि ऐसा करना बहुत ही बड़ी समस्या का कारण बन सकता है । हमारा शरीर अनेकों कोशिकाओं से मिलकर बना होता है यह कोशिकाएं समय के साथ-साथ मर जाते हैं जिसके कारण हमारा शरीर वृद्धावस्था का रूप ले लेता है । ऐसे में वृद्धों की आंखों में समस्या होना एक आम बात है परंतु जब यह समस्या छोटे बच्चों में उत्पन्न होती है तो यह एक गहन विचार करने की बात होती है ।

 

आंखें है तो दृश्य है , दृश्य है तो हम हैं और हम हैं तो दुनियाँ है

डॉक्टर संगम लाल विश्वकर्मा ने साक्षात्कार के जरिए हमें यह बताया कि ऐसी स्थिति में हमें लैपटॉप , मोबाइल और डिजिटल चीजों से दूर रहना चाहिए । डॉ विश्वकर्मा ने यह भी बताया कि किस प्रकार मोतियाबिंद का इलाज समय रहते ना किया जाए तो वह फट सकता है और व्यक्ति नेत्रहीन हो सकता है ।

 

डॉ विश्वकर्मा ने हमें नेत्र से संबंधित कई सारी समस्याओं और उसके समाधान से अवगत कराया । उन्होंने बताया कि आँखों से संबंधित आजकल बहुत बड़ी समस्याएं होती हैं और यदि इनपे समय रहते ध्यान केंद्रित ना किया जाए समस्याएं गंभीर हो सकती हैं जो बिना ऑपरेशन के सही नहीं होंगी । साफ साफ शब्दों में कहें तो इन सब बीमारियों का इलाज समय रहते ही करा लेना हमारे लिए सही और लाभदायक होता है। उन्होंने बताया कि मधुमेह रोगियों के अंदर डायबिटिक रेटिनोपैथी नामक बीमारी होती है जिससे नसों में खून के धब्बे और सूजना आ जाता है । और फिर व्यक्ति धीरे-धीरे देखने में असमर्थ हो जाते हैं या फिर धुंधला दिखाई देने लगता है ।

 

मधुमेह से प्रभावित 20 से 40 मरीज़ों में रेटिनोपैथी बिमारी की समस्या होती है । जब हमने डॉक्टर संगम लाल विश्वकर्मा से इसके निदान के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि इसका इलाज नियमित तौर पर आंखों का जाच कराना एवं डायबिटीज को नियंत्रण में रखना है।

 

डॉक्टर विश्वकर्मा से जब हमने मोतियाबिंद के बारे में पूछा तो उन्होंने इसे एक गंभीर समस्या बताया । यह ज्यादातर 40 वर्ष के ऊपर के व्यक्तियों में पाया जाता है ।

मोतियाबिंद एक एसा रोग होता है जिसमें आंखों के लेंस पर परत पड़ जाती है जिसके वजह से व्यक्ति को देखने में समस्या होती है । ऐसे में मोतियाबिंद का एकमात्र ऑपरेशन ही समस्या का समाधान है । हमने डॉक्टर शर्मा से इसके घरेलू उपाय के बारे में पूछा तो उनका कहना है कि मोतियाबिंद जैसी गंभीर समस्या का कोई भी घरेलू उपाय नहीं है । हम अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मे का प्रयोग कर सकते हैं । आंखों में थोड़ी भी समस्या होने पर डॉक्टर से परामर्श लें । हरी सब्जियां खाएं । लगाता डिजिटल चीज जैसे कि मोबाइल लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक सामानों का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों के लिए डॉक्टर विश्वकर्मा ने 20 ,20 , 20 का नियम बताया ।

 

इस नियम के तहत माना जाता है कि 20 मिनट तक डिजिटल चीजों को देखने के बाद 20 सेकंड का ब्रेक लेना चाहिए उसके बाद फिर हम 20 मिनट का डिजिटल चीज देखे और फिर 20 सेकंड का ब्रेक लें । इसके साथ ही उन्होंने बताया कि लेट कर मोबाइल को चलाना आंखों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। साथ ही साथ आंखें सिकोड़कर कर भी मोबाइल या डिजिटल चीजों को चलाना नुकसानदेह हो सकता है । क्योकि डॉ विश्वकर्मा नैनी जेल के भी डॉक्टर हैं तो उनसे जब यह सवाल पूछा गया कि वहाँ का वातावरण बाहरी वातावरण से अलग होने के कारण कैदियों में क्या कोई खास समस्या होती है ? तो उन्होंने बहुत ही साधारण शब्दों में बताया कि वहाँ भी खाने-पीने से लेकर वातावरण का पूर्णतया ख्याल रखा जाता है जिसके कारण ऐसी कोई अलग से गंभीर समस्या उत्पन्न नहीं होती है।

 

आपको बता दें कि उन्होंने बताया कि आंखों में फैशन के चलते लगाए जाने वाला लेंस को नियमित तौर पर सफाई करनी चाहिए और उसे साफ सुथरे स्थान पर रखना चाहिए और उसे प्रतिदिन साफ जरूर करना चाहिए ।

डॉक्टर संगम लाल विश्वकर्मा ने नेत्रदान से संबंधित भी कुछ महत्वपूर्ण चर्चा की । उन्होंने बताया कि 15 से 20 प्रतिसत व्यक्ति नेत्रदान करने का रजिस्ट्रेशन तो करते हैं लेकिन उनके समय पर सूचना ना मिलने के नाते या फिर परिवार वालों की तरफ से जागरूकता या सूचना ना देने के नाते नेत्रदान का कार्य पूरी तरह संभव नहीं हो पाता है ।

उनका मानना है कि हमें इसके लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए । आपको बता दें कि नेत्रदान में लिये गये नेत्र के केवल पारदर्शी हिस्से यानी कॉर्निया को ही लिया जाता है। इसको किरेटोप्लास्टी कहते हैं जो कि कॉर्निया (पारदर्शी पुतली) का प्रत्यारोपण होता है ।

एक व्यक्ति द्वारा किया गया नेत्रदान दो व्यक्तियों को दृश्य देने का कार्य कर सकती है । नेत्र भले ही छोटे होते हैं किन्तु हमारे लिए बहुत बड़ा कार्य करते है । इन आंखों के जरिए ही हम दुनियॉ को देखने में सक्षम होते हैं इसलिए आंखों से संबंधित छोटी सी लापरवाही होने पर भी गंभीरता से लें और डॉक्टर से जरूर मिलें ।