अंबेडकरनगरः ईओ पर लगे भ्रष्टाचार के दाग गहरे, एक्सेल से भी नहीं जाएगा- प्रवाल देव

 

विधान केसरी समाचार

अंबेडकरनगर। यह बात तो 100 प्रतिशत सही है, की कुछ अधिकारियों को पूरा भरोसा था की 2022 विधानसभा चुनाव में सत्ता बदल जाएगी और सपा की सरकार आ जाएगी, भ्रष्टाचार से घिरे अधिकारियों की जांच नहीं हो पाएगी मगर उनके सारे मंसूबे में पानी फिर गया। आपको बताते चलें की टांडा नगर पालिका अधिशासी अधिकारी के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे और यह आरोप भाजपा के प्रबल देव (प्रिंस राय) सभासद ने लगाया है। उन्होंने प्रदेश सरकार प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर बताया है की टांडा के अधिशासी अधिकारी डॉक्टर आर पी श्रीवास्तव ने शासन द्वारा भेजे गए विकास कार्य के पैसे का जमकर बंदरबांट किया है। आय से अधिक संपत्ति की भी जांच हो सत्ता बदल गई मगर मिजाज नहीं बदला साहब का है। और समाजवादी पार्टी के समर्थको के साथ अधिशासी अधिकारी की जुगलबंदी अच्छी है।

यहां तक की अधिशासी अधिकारी के द्वारा डीजल की भी चोरी की गई है, बोर्ड बैठक में कई बार डीजल का विवरण मंगा गया मगर मुस्कुराते हुए बातों को टल दिया गया। नगर सफाई व्यवस्था में लगे सफाई कर्मीयों को अधिशासी अधिकारी के घर में कम करना पड़ता है, आठ सफाई कर्मी साहब के घर में लगे हुए हैं और अपनी सेवा और घर की देखरेख करवाते है। दिसंबर 2021 में नगर पालिका परिषद टांडा द्वारा लगभग 15 करोड़ की निर्माण कार्यों की निविदा कराई गई थी ठेकेदारो को लाभ पहुंचाने के एवज में उनसे दो प्रतिशत लगभग 30 लाख रुपए में मामला तय हुआ साहब का कहना था कुछ तुम लूटो कुछ हम लूटे। निविदा की प्रक्रिया में वित्तीय अनियमित करते हुए निविदा दूषित कर दिया गया। जब इसकी जांच अपार जिलाधिकारी द्वारा कराई गई तो, अधिशासी अधिकारी दोषी पाए गए। दर्जनों आरोपो से घिरे अधिकारी पर किसी प्रकार की कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की गई।

2022 विधानसभा चुनाव सपा की लहर देखते हुए ईओ को विश्वास था कि चुनाव समाजवादी पार्टी ही जीतेगी। इनके द्वारा नगर पालिका की गाड़ियों व जेनरेटर में डीजल भरवाने के नाम पर लाखों की कीमत में डीजल में प्रतिमाह हेरफेर किया गया है। इससे पूर्व भी अधिशाषी अधिकारी डॉ० आर०पी० श्रीवास्तव की जिस भी जनपद में तैनाती रही है, वहाँ उनके भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमितता के आरोप सिद्ध हुए हैं। हर बार अधिशाषी अधिकारी द्वारा शासन में पदासीन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को घूस ंदेकर फाइल दबवा दी जाती है और निकाय में बैठकर धन उगाही की जाती है।इस तरह से हर बार आरोप सिद्ध होने के बावजूद शासन द्वारा कार्यवाही न की गयी।