अंबेडकरनगरः लाखों खर्च, सुंदरीकरण के नाम पर अमृत सरोवर उजाड़

विधान केसरी समाचार

अंबेडकरनगर। अकबरपुर ब्लाक के जैनापुर गांव में अमृत सरोवर की मंशा धूमिल दिख रही है। लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी अमृत सरोवर के पास भ्रामक पीला बोर्ड और तिरंगा फहराने का स्थान तैयार हुआ है। यहां दूषित पानी को अमृत सरोवर में जाने से रोकने तथा इसे निर्मल बनाए रखने की व्यवस्था नहीं है, यहां बंधा बनाने का काम अधूरा है। अमृत सरोवरों में वर्षाजल संचित कर भूगर्भ जलस्तर संवारने एवं गांव को जलसंपदा में आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत सरकार ने गाइड लाइन जारी किया है। इसमें वर्षाजल को स्वच्छ कर भेजने, बाहरी दूषित पानी को आने से रोकने समेत गर्मी के दिनों सूखने से बचाने के लिए इसे भरने में भूगर्भ जल का प्रयोग नहीं करने, इसके आसपास सुंदरता बिखेरने को लेकर निर्देश दिया गया है। यह सब आदेश-निर्देश जैनापुर गांव के अमृत सरोवर स्थल पर नहीं दिखता है। यहां पर लगे सूचना बोर्ड पर अमृत सरोवर का महज नाम सरदार लिखा है। इसके अलावा इसका निर्माण शुरू होने, कार्य पूरा होने व अनुमानित लागत समेत लंबाई-चैड़ाई आदि तक का जिक्र नहीं किया गया है।

अनदेखी ऐसी की मनरेगा के स्थान पर नरेगा लिखा गया है। पक्के निर्माण की बात तो दूर तालाब की खोदाई भी पूरी नहीं की जा सकी है। मनरेगा मजदूरों से शुरू हुई खोदाई बारिश के बाद से ठप हो गई। पिछले करीब एक माह से झंडारोहण के लिए चबूतरा बनाने के अलावा कोई काम नहीं हुआ है। सरोवर पर अभी 10 प्रतिशत भी काम नहीं हो सका है। दो बीघा क्षेत्रफल के इस सरोवर पर पक्के निर्माण की बात तो दूर मिट्टी खोदाई व चारों ओर ट्रैक बनाने का काम भी पूरा नहीं हो सका है। तालाब के चारों तरफ गंदगी है। लापरवाही का आलम यह है कि सरोवर में अभी जलकुंभी तक साफ नहीं कराया गया है। ग्राम सचिव अतुल सिंह ने बताया कि बारिश होने से काम बाधित है। 50 गुणा 60 मीटर लंबाई-चैड़ाई में सरोवर का निर्माण कराया जा रहा है। लगभग डेढ़ लाख रुपये का कच्चा काम कराते हुए मिट्टी का बंधा बनाया गया है, जल्द ही दोबार काम शुरू होगा। अकबरपुर ब्लाक के सहायक कार्यक्रम अधिकारी अमरजीत ने बताया इसके निर्माण पर लगभग 39-40 लाख रुपये बजट खर्च होने का अनुमान है। इसमें सरोवर की खोदाई और पक्के निर्माण होने हैं। इस सरोवर का चयन दूसरे चरण में हुआ है। बरसात होने से काम रुका है। यहां बेंच लगवाना, तालाब के चारों तरफ ट्रैक, बैरीकेडिंग, पौधारोपण आदि होना है।