बाराबंकीः निशा जी की रचनाओं में आम जनमानस की व्याकुलता स्पष्ट बयां होती है- स्वप्निल
विधान केसरी समाचार
बाराबंकी। गीत हमारे दुख और सुख दोनों को व्यक्त करते हैं। निशा जी के गीतों को पढ़िये तो वह सवाल करते हैं समाज से, ईश्वर से। निशा जी की रचनाओं में आम जनमानस की व्याकुलता स्पष्ट बयां होती है। उनकी रचनाओं में स्थानीयता के साथ ही लोकजीवन समाहित होने से रचनाएं अधिक प्रभावशाली हुई हैं। यह बात कवयित्री रजनी श्रीवास्तव ‘निशा’ की दो पुस्तकों काव्य संग्रह ‘क्षितिज के उस पार’ तथा ‘सोन चिरइया’ के विमोचन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार स्वप्निल श्रीवास्तव ने कही। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन साहित्यकार समिति एवं यूनिक सोशल वेलफेयर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में पटेल संस्थान निकट पटेल महिला महाविद्यालय में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन से हुआ। मंगलाचरण कवि विष्णु कुमार शर्मा ‘कुमार’ ने किया एवं सरस्वती वंदना गीतकार डॉ0 कुमार पुष्पेन्द्र ने प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि उ0प्र0 हिन्दी संस्थान से पधारीं संपादक डॉ0 अमिता दुबे ने कवयित्री ‘निशा’ को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि उनके दोनों काव्य संग्रह में विषय की विविधता है। उनकी कविता में पारंपरिक बिंबों की जगह आधुनिक जीवन बोध को व्यंजित करने की प्रमुखता है। ‘निशा’ जी ने अपने गीतों में जो एक भाव दिया है, वह उनकी आंतरिक संवेदना है, जो उनके गीतों को महत्वपूर्ण बनाती है।
सुप्रसिद्ध समीक्षक डॉ0 विनय दास ने कहा रजनी ‘निशा’ के इन गीतों में लोकमंगल, लोक संस्कृति का स्वर प्रमुख है। विषमताओं से परे एक नया शांतिपूर्ण आशियाना की खोज इनका मुख्य विषय है, जिसमें राष्ट्रप्रेम और प्रकृति प्रेम दोनों के स्वर हैं। लेखक इकबाल राही ने कहा कि ‘निशा’ के गीतों में मनुष्य और मनुष्यता का गान है। वे समाज में आपसी वैमनस्य की जगह समरसता की हामीदार हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक साहित्यकार डॉ0 राम बहादुर मिश्र ने कहा कि निशा जी अवधी की प्रकृति और प्रवृत्ति लोकमंगल की कवयित्री हैं। समसामयिक सन्दर्भों और लोक जीवन की विसंगतियों पर निशा जी की पैनी दृष्टि है। पारंपरिक छंदों के साथ अन्य काव्य विधाओं में उनके प्रयोग ने उन्हें एक नए पायदान पर पहुंचा दिया है। वे खड़ी बोली और अवधी दोनों की समर्थ रचनाकार हैं।
इस अवसर पर धीरेन्द्र वर्मा को हिन्दी गौरव सम्मान, रायबरेली के कवि रामकेवल लहरी को मृगेश स्मृति सम्मान, कवि दीपक सिंह को शिव सिंह सरोज स्मृति सम्मान, साहित्यकार पंकज कँवल को दुष्यंत कुमार स्मृति सम्मान तथा रजनी श्रीवास्तव ‘निशा’ को महादेवी स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया, जिसमें अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र तथा उपहार भेंट किए गए।
कार्यक्रम का संचालन शिक्षक साहित्यकार आशीष पाठक ने किया। इस मौके पर मूसा खान अशान्त बाराबंकवी, अजय सिंह गुरुजी, राम किशोर तिवारी ‘किशोर’, वीरेन्द्र श्रीवास्तव, पंकज श्रीवास्तव, रमेश श्रीवास्तव, राहुल श्रीवास्तव, दिनेश श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव लल्लूजी, डॉ0 बलराम वर्मा, प्रदीप सारंग, प्रदीप महाजन, अनुपम वर्मा, पप्पू अवस्थी, सतीश श्याम, आशीष राज, चंदन पटेल, हिमांशु पाठक आदि मौजूद थे।