Sonebhadra: प्राइवेट हॉस्पिटलों में गर्भाशय निकालने के मामले में नम्बर वन परिजनों को दबाव बनाकर समझौता गलती नही तो किस चीज का मैनेजमेंट?
पैसे का प्रलोभन देकर दबाव बनाकर परिजनों के साथ खेल जिससे स्वास्थ्य विभाग भी कार्यवाई करने से बचता हैं।
सोनभद्र ब्यूरो: केकराही में गर्भाशय के बाद डॉक्टर की लापरवाही मामले में एक माह बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई है। गलत तरीके से ऑपरेशन के चलते विवाहिता का गर्भाशय निकालने के मामले में अस्पताल प्रबंधन जांच टीम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ। मदार निवासी शैलेंद्र मौर्य ने सीएमओ, जिलाधिकारी,स्वास्थ्य मंत्री,कमिश्नर पुलिस सहित अन्य अधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिया था कि आठ माह पहले ही उसकी शादी हुई थी उसकी पत्नी नीतू के गर्भवती होने पर अल्ट्रासाउंड कराया गया तो बच्चा ठीक था। इस बीच 22 सितंबर को उसकी पत्नी को मामले की अभी जांच चल रही। कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं। जिसके किन्ही कारणों से बाद में एफिडेविट दे देते हैं। उसे वाराणसी के एक निजी अस्पताल भेज दिया गया था चिकित्सकों की सलाह पर ऑपरेशन से गर्भाशय निकाल दिया गया। इस शिकायत पर सीएमओ ने नोडल अधिकारी डॉ. जीएस यादव को जांच के निर्देश दिए गए थे।
नोडल अधिकारी ने बताया कि अस्पताल में जांच के दौरान कोई चिकित्सक नहीं मिला था। वहीं जरूरी दस्तावेज भी संबंधित उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। बार-बार बुलाने के बावजूद किस चिकित्सक ने उपचार किया जो हाजिर नहीं हो रहा है। जांच में सहयोग न करने पर अस्पताल के पंजीकरण को निरस्त किया जा सकता है। संबंध में नोडल ने पत्र जारी केकराही स्थित अस्पताल की नोटिस जारी किया था। वही हाल में ही तीन हॉस्पिटलों में जाच किया गया था जिसमे एक हॉस्पिटल में कोई डॉक्टर नही मिला शनिवार को सील कर दिया गया। मुख्यालय स्थित अल्ट्रासाउंड,पैथोलॉजी, फर्जी हॉस्पिटलों का बोल बाला है जिसमे अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं सूत्रों की माने तो कई हॉस्पिटलों में हर क्षेत्र की आशा भी मरीजो को हॉस्पिटल पहुचाने का काम करती हैं इनको भी 30 से 40 परसेंट कमीशन मिलता हैं। इतना ही नही कुछ अल्ट्रासाउंड वाले तो भ्रूण लिंक प्रशिक्षण भी कर रहे हैं।