सिया राम चले वन को,मानस नवाह्न पाठ में राम दरबार का हुआ श्रृंगार
दिनेश पाण्डेय: नगर के आरटीएस क्लब में चल रहे श्री रामचरितमानस नवाह पाठ के चतुर्थ दिवस श्री राम दरबार का भव्य श्रृंगार किया गया और भगवान के वनवास की झांकी का दर्शन भक्तजनों ने किया। रामचरितमानस के दोहा और चौपाई का गायन करते हुए मुख्य आचार्य सूर्यलाल मिश्र ने कहा कि भगवान श्रीराम का वनवास ना होता तो विश्व का कल्याण ना होता। ऋषि-मुनियों और ब्राह्मणों को सताने वाले राक्षसों का नाश ना होता।
इसका माध्यम बनी उनकी माता केकई और कैकई को वनवास का सुझाव देने वाली मंथरा थी। इस मार्मिक दृश्य को सुनकर, देखकर भक्तजनों की आंखे भर आई तथा जो केकई और मंथरा ने भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास के लिए दोषी थी, उन्हें कटु शब्दो से संबोधित करने लगे। यह कथा लोक में प्रचलित है और हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी आज भी कोई अपने पुत्री का नाम कैकेई और मंथरा नही रखता है। जबकि प्रभु श्री राम के ह्रदय में माता कैकेई और दासी मंथरा के प्रति अगाध प्रेम था। जिसे तुलसी दास जी ने अपने ग्रंथ श्री रामचरितमानस में उद्धित किया है। वही एक दिन पूर्व रात्रि प्रवचन में गोरखपुर से पधारे हेमंत तिवारी ने धनुष यज्ञ पर बोलते हुए बताएं कि टूट कहीं धनु हुई विवाहू के आधार पर धनुष के टूटते ही विवाह हो गया लेकिन कुलगुरू है उससे पूछ कर वंश व्यवहार के अनुरूप अयोध्या नरेश को पत्र भेजकर बुलाने की सलाह दिया।
प्रवचन की दूसरे सत्र में वाराणसी से पधारे प्रसिद्ध कथावाचक विद्या शंकर पांडे ने परशुराम संवाद पर बोलते हुए कहा कि तेहिं छड राम मध्य धनु तोड़ा। भरे भुवन ध्वनि घोर कठोरा। धनुष के टूटने की आवाज से सारा भुवन में नाद हुआ जिसकी जिसकी आवाज सुनकर परशुराम यज्ञ स्थल पर आ गए उन्हें देख कर सारे राजा थरथर कांपने लगे।
प्रवचन की तृतीय सत्र में अयोध्या धाम से पधारे मधुसूदन शास्त्री ने विवाह पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राम सिया सिर सिंदूर देहि। शोभा कहीं न जात विधि केही। भगवान राम ने सीता की मांग में सिंदूर डालकर विवाह की विधि को पूरा किया। मंच का संचालन करते हुए आचार्य संतोष कुमार द्विवेदी ने कहा कि सिंदूर प्रेम का प्रतीक होने से पति के प्राण आयु को संरक्षित रखने की क्षमता होती है।
वही अयोध्या में श्री रामलाल की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर आरएसएस के जिला संघ संचालक हर्ष अग्रवाल के नेतृत्व में नगर में निकाली गई भव्य अक्षत कलश यात्रा का आगमन मानस पंडाल में हुआ जहां पर अक्षत कलश की पूजा अर्चना की गई और वहां उपस्थित श्रद्धालुओं ने पावन दिव्य अक्षत कलश का दर्शन पूजन किया। समिति के अध्यक्ष सत्यपाल जैन, महामंत्री सुशील पाठक, शिशु तिवारी, विनय अग्रवाल राजेश द्विवेदी, प्रमोद गुप्ता, अजीत भंडारी, गुल्लू भंडारी, अवधेश, राधेश्याम केसरी, सुरेश शुक्ला, विमलेश सिंह, रविंद्र पाठक, मन्नू, मनीष, चन्दन, कुशल तिवारी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। बता दें कि इस पूरे आयोजन का लाइव प्रसारण मीडिया प्रभारी हर्षवर्धन केसरवानी द्वारा रामचरित मानस नवाह पाठ महायज्ञ के फेसबुक पेज पर किया जा रहा है।