बीसलपुर: चार दिसंबर को अयोध्या प्रस्थान करने का भाजपा नेतृत्व से मिला था आदेश, श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन 1992 में हुए थे शामिल

 

विधान केसरी समाचार

बीसलपुर। वर्ष 1992 में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को लेकर जनपद वासियों द्वारा दिया गया योगदान भी अतीत के पन्नों में दर्ज हो गया। अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण को लेकर जिले के रामभक्तों ने भी बढ़ चढ़ कर भागीदारी की थी। हालांकि इस आंदोलन में भागीदारी करने पर तमाम यातनाएं सहने के बाद भी इनका हौसला कम नहीं हुआ।

पीलीभीत भाजपा जिला कार्यकारिणी सदस्य के रूप में शामिल भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ रामबहादुर गंगवार ने बताया कि पार्टी के जिलाध्यक्ष वीर सिंह के निर्देश पर लगभग 70 लोगों का एक जत्था बीसलपुर रेलवे स्टेशन से अयोध्या के लिए प्रस्थान किया। जिसमें भाजपा जिलाध्यक्ष वीर सिंह, भाजपा विधायक बरखेड़ा किशनलाल, डॉ रामबहादुर गंगवार निवासी मधवापुर, प्यारे लाल पाल निवासी बकैनियां दीक्षित, रामचन्द्र लाल वर्मा निवासी चठिया, डॉ रामसेवक शर्मा निवासी जल्लापुर, रामकुमार कश्यप निवासी बड़ागांव, शांति स्वरूप निवासी घुरी पट्टी, त्यागी जी महाराज टीबरी नाथ शिवमन्दिर नौगवां नवीनगर, रामसरन वर्मा पूर्व मंत्री सहित तमाम कार्यकर्ता जत्थे में शामिल थे। जत्थे का नेतृत्व पूर्व मंत्री रामसरन वर्मा कर रहे थे। अयोध्या पहुंचने के बाद सभी को कारसेवक पुरम में ठहराया गया। दिनांक 5 दिसंबर को दोपहर के बाद सभी कारसेवकों ने बेरिकेडिंग तोड़ते हुए विवादित ढांचे की तरफ प्रस्थान किया। लगभग सात बजे लाखों की संख्या में कारसेवक ढांचे के चारों तरफ पहुंच गए। ढांचे के चारों तरफ कंटीले तारों से घिरा हुआ था। ढांचे के पीएसी के जवान तैनात थे। ढांचे के दक्षिण साइड में एक मंच बना हुआ था जिस पर केंद्रीय नेतृत्व के शीर्ष नेता विराजमान थे।

जिनमें अशोक सिंघल, विनय कटियार, लालकृष्ण आडवाणी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, सुश्री उमा भारती आदि लोग मौजूद थे। जिस समय कारसेवक मस्जिद ढहा रहे थे। उस समय उमाभारती हनुमान चालीसा का जाप करते हुए कारसेवकों का हौसला अफजाई कर रही थीं। ढांचा गिराए जाने के दौरान तीन कारसेवक घायल भी हुए थे। इसके बाद बापस आने पर लखनऊ से थोड़ा पहले जिलाध्यक्ष वीर सिंह ने एक बैठक की और जिले के पदाधिकारियों को निर्देश दिए कि गिरफ्तारी शुरू हो जाएगी सभी कार्यकर्ताओं को भूमिगत होने का आदेश दिया गया। डॉ रामबहादुर गंगवार ने बताया कि लखनऊ से बरखेड़ा विधायक किशनलाल शाहजहांपुर होते हुए निकले बाकी लोग लखनऊ से सीतापुर होते हुए घर पहुंचे। 18 दिन भूमिगत रहने के बाद जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई धरने पर बैठे तभी सभी कारसेवकों से सभी धाराएं हटा दी गईं जबकि हमारे कई साथी गिरफ्तार हो गये।