कश्मीर में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने की कोशिश में पाकिस्तान

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हाल के महीनों में पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) स्थित आतंकवादी समूह सोशल मीडिया पर पहले के मुकाबले ज्यादा एक्टिव दिख रहे हैं. आशंका है कि इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने के मकसद से किया जा रहा है. भारतीय खुफिया एजेंसियों की मानें तो इसकी मदद से आतंकवादी समूह सोशल मीडिया पर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले एक महीने (अक्टूबर-नवंबर) में अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, एक्स (पूर्व में ट्विटर), टेलीग्राम, और डार्क वेब पर 2,000 से अधिक पोस्ट किए गए हैं. पिछले साल इस दौरान पोस्टों की संख्या मात्र 89 थी, जो अब 22 गुना बढ़ चुकी है. इनमें से ज्यादातर पोस्ट आतंकवाद और भारत विरोधी कंटेंट पर आधारित थीं, जबकि कुछ पोस्टों में सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों और बुनियादी ढांचे पर हमले की धमकियां भी शामिल थीं.

हाल के सालों में जम्मू-कश्मीर में स्थानीय आतंकी भर्ती में गिरावट आई है. साल 2023 में नवंबर तक केवल चार स्थानीय लोगों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए भर्ती किया गया था, जो 2022 में 113 और 2023 में 22 की संख्या से बहुत कम है. इसका श्रेय जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा आतंकवाद के प्रति जीरो-टोलरेंस पॉलिसी को दिया जा रहा है. सरकार ने न केवल आतंकवादियों को निशाना बनाया बल्कि ओवरग्राउंड सपोर्ट नेटवर्क को कमजोर करने के लिए सरकारी नौकरियों, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस जैसी सुविधाओं पर भी रोक लगा दी है।

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि सोशल मीडिया के जरिए युवाओं के दिमाग को प्रभावित करने का यह प्रयास गंभीर है. ये जम्मू-कश्मीर में एक निर्वाचित सरकार के बनने के समय से मेल भी खा रहा है.खुफिया एजेंसियां इस बात की भी जांच कर रही हैं कि क्या बदले हुए राजनीतिक समीकरणों ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी मास्टरमाइंडों को जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता फैलाने के लिए प्रेरित किया है.

एक हालिया खुफिया रिपोर्ट में यह संकेत दिया गया है कि पाकिस्तान की ISI अपने आतंकी सहयोगियों के माध्यम से निकट भविष्य में कश्मीर में एक दर्जन से अधिक जमात-ए-इस्लामी (JEI) नेताओं को निशाना बनाने की योजना बना रही है. इस कदम को क्षेत्र में सार्वजनिक अशांति फैलाने के उद्देश्य से देखा जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा ड्रोन गतिविधियों में भी बढ़ोतरी हुई है. अक्टूबर 2023 तक 40 बार ड्रोन के देखे जाने की घटनाएं सामने आई थी,  जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में अधिक है. ड्रोन का इस्तेमाल आमतौर पर सीमा पार से हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी के लिए किया जाता है, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है.