राहुल गांधी के बाद अब शरद पवार के बैग की भी ली गई तलाशी

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महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती हेलीपैड पर रविवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार के बैग की तलाशी ली गई। पवार सोलापुर में चुनावी रैली में शामिल लेने के लिए जा रहे थे, इस दौरान चुनाव कर्मियों ने उनके बैग की जांच की। इस घटना के बाद सियासी गलियारों में मच गई है और विपक्षी नेताओं ने निर्वाचन अधिकारियों की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। बता दें कि राज्य में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान है और  आदर्श आचार संहिता लागू है।

पवार के सहयोगी ने बताया कि शरद पवार के सोलापुर के करमाला में एक चुनावी रैली में भाग लेने का कार्यक्रम था। जब वे बारामती हेलीपैड पर पहुंचे, तो उनके बैग की तलाशी ली गई। तलाशी के बाद पवार साहेब हेलीकॉप्टर में सवार हुए और रैली के लिए रवाना हो गए। उधर, शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बैग की भी अमरावती जिले में तलाशी ली गई थी, जिससे इस तरह की कार्रवाई पर और भी सवाल उठने लगे हैं। राज्य की पूर्व मंत्री और टेओसा से कांग्रेस विधायक यशोमति ठाकुर ने निर्वाचन अधिकारियों की कार्रवाई पर तीखा सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, “क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह या मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बैग की जांच नहीं की जा रही?”

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया और निर्वाचन अधिकारियों से पूछा, “क्या प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री शाह, मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री फडणवीस के बैग की भी तलाशी ली जा रही है?” ठाकरे ने इस संदर्भ में अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें दिखाया गया कि निर्वाचन अधिकारियों ने उनके बैग की जांच की।

राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान बैग की जांच को लेकर राजनीति गरमा गई है। बीजेपी ने अपनी तरफ से सफाई दी है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों में विश्वास करती है और सभी चुनावी प्रोटोकॉल का पालन करती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “बीजेपी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में विश्वास करती है और हम हर नियम का पालन करते हैं।”

वर्तमान में ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें चुनाव अधिकारियों को महाराष्ट्र के अन्य नेताओं जैसे शाह, मुख्यमंत्री शिंदे, उपमुख्यमंत्री फडणवीस और अजित पवार के बैग की जांच करते हुए देखा गया है। इस मुद्दे को लेकर राजनीति में तूल पकड़ गई है और विपक्षी दलों ने इसे चुनावी पक्षपाती कार्रवाई के रूप में पेश किया है।