अमेठीः श्रीमद्भागवत कथा: तन मन व धन से सेवा भाव रखने वाला व्यक्ति होता है धनवान

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अमेठी। भेंटुआ के पूरे पाण्डेय मजरे टिकरी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथा वाचक आचार्य देवव्रत जी महराज ने भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बताया कि धनवान व्यक्ति वही होता है जो अपने तन,मन,और धन से सेवा भक्ति करे वही आज का सबसे बड़ा धनवान है। भगवान की कृपा से ही संभव हो सकता है। पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए महराज ने बताया कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठाया और स्तन लगाया श्रीकृष्ण ने विष पान करते हुए वध कर दिया और जगत का कल्याण हो गया। भगवान को जब पूतना से छुड़ाकर माता यशोदा लाती है तो पंचगव्य गाय का गोबर और गोमूत्र से भगवान का स्नान कराती है यही कारण है कि गौ माता की सेवा गाय का जाप और पुराणों में गाय का वर्णन मिलता है।गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी देवताओं की सेवा होती है। भगवान बृजराज का सेवन करके कर्म समर्पित का भाव उत्पन्न होता है। सम्पूर्ण ज्योति मंडल,जल,तेज, अर्थात प्रकृति,महत्व, व्यवहार, देवगण,इंद्रियां, मन,बुद्धि,त्रिगुण, जीव,काल,कर्म, प्रारब्ध,आदि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मिट्टी खायें मुख में दिखाया। यही से जम्बूद्वीप का नाम से भारत वर्ष का नाम पड़ा।

बाल लीला में भगवान को यशोदा माता के माखन चोरी आदि का वर्णन पांचवें दिन की कथा में आचार्य ने सुनाया। भगवान इंद्र की पूजा छोड़ गोवर्धन पूजा का व्याख्यान करते हुए आचार्य ने बताया कि एक सप्ताह तक भगवान इंद्र ने ब्रज वासियों पर बरसात कराई लेकिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर भयंकर बरसात से बचाया भगवान इंद्र को अपने अंहकार का एहसास हुआ और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगे तभी से छप्पन भोग प्रसाद लेकर गिर्राज की पूजा होने लगी। भागवत कथा के पांचवें दिन पंडाल में आये श्रद्धालुओं ने भगवान की बाल लीलाओं का आनंद लिया और प्रसाद लेकर अपने अपने घरों को चले गये। पांचवें दिन की कथा में मुख्य यजमान राजेन्द्र पाण्डेय, ओमप्रकाश पाण्डेय सहित प्रतिदिन की कथा सुनने वाले श्रद्धालु मौजूद रहे।