Sonebhadra: तीन वर्षों से कृधा एबिलिटी डेवलपमेंट सेंटर दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का कर रहा है कार्य।

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दिनेश पाण्डेय(ब्यूरो)

कृधा एबिलिटी डेवलपमेंट सेंटर और सेंसिटिव इंडिया फाउंडेशन ने मनाया “विश्व दिव्यांगता दिवस”।

सोनभद्र। कृधा एबिलिटी डेवलपमेंट सेंटर और सेंसिटिव इंडिया फाउंडेशन ने विश्व दिव्यांगता दिवस (03 दिसंबर 2024) के अवसर पर दिव्यांग बच्चों के साथ मिलकर अपना वार्षिक उत्सव मनाया। इस वर्ष का विषय था ‘सहारा नहीं, साथ चाहिए,” जिसमें बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर अपनी अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में थी हिमांशु कुमार सिंह जो गिरिवाधि वनवासी सेवा प्रकल्प के अध्यक्ष है, केयर हॉस्पिटल के अध्यक्ष डॉ. जटाशंकर गुप्ता, डॉ प्रीतम पाठक, पूर्व विधायक अविनाश कुशवाहा, हिमांशु कुमार सिंह अध्यक्ष गिरवासी बनवासी सेवा प्रकल्प,इंद्रसेन सिंह समाजसेवी एसपी सिंह, लालजी तिवारी, कमलेश सिंह, अमित सिंह, गजेंद्र बहादुर सिंह प्रवीण सिंह, पूर्व ब्लाक प्रमुख उपस्थित रहे। कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष प्रतीक सिंह, संस्थापक और निदेशक डॉ. अंकिता तिवारी, सचिव श्रवण वानी, विशेषज्ञ डॉ. विषेश्वर चौहान और मुख्य आयोजक मुकेश द्विवेदी ने सक्रिय भागीदारी की। कार्यक्रम को होटल देव अर्जुन के मालिक रमेश सिंह ने प्रायोजित किया। पिछले तीन वर्षों से कृधा एबिलिटी डेवलपमेंट सेंटर दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य कर रहा है। इस प्रयास के परिणामस्वरूप, कई दिव्यांग बच्चों ने अपनी पहचान बनाई है और स्कूलों एवं समाज की अन्य
गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। सेंसिटिव इंडिया फाउंडेशन और अन्य संगठनों के साथ मिलकर, यह संस्था उन बच्चों की भी सहायता कर रही है, जो 12वीं कक्षा के बाद आर्थिक समस्याओं के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। यह संगठन उन बच्चों की पूरी शिक्षा का खर्च उठाता है। संस्था के सचिव, डॉ. विषेश्वर चौहान ने कहा, “यदि आपके आस-पास कोई बच्चा आर्थिक अभाव के कारण अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पा रहा है, तो कृपया हमें सूचित करें। हमारी संस्था उसकी पूरी शिक्षा का खर्च उठाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि “यह सब आपके सहयोग से ही संभव हो पा रहा है। हमें साथ मिलकर जरूरतमंद लोगों की मदद करनी होगी।”इस कार्यक्रम के माध्यम से एक मजबूत संदेश दिया गया कि दिव्यांग बच्चों को केवल सहारे की नहीं, बल्कि समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का अवसर चाहिए। यह आयोजन दिव्यांग बच्चों की क्षमताओं और उनके अधिकारों को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।