सैफनीः स्कूली बच्चों का किया गया निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण
विधान केसरी समाचार
सैफनी। वर्तमान समय में जमीन और आसमान की तरह ही गरीबी और शिक्षा का भी कोई मेल जोल नहीं है। गरीब घर का बच्चा या तो स्कूल ही नहीं जा पाता है या फिर थोड़ी बहुत पढ़ाई करने के बाद उसे किसी न किसी कारण वश अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ जाती है। गरीब घर के लड़के किसी तरह कुछ दर्जे तक पढ़ाई कर भी लेते हैं।परन्तु गरीब घर की बहुत सी लड़कियाँ तो जीवन भर स्कूल की दहलीज भी लांघ नहीं पाती हैं।गरीब परिवारों के बच्चे धनाभाव के कारण पढ़ाई नहीं कर पाते हैं।
मंगलवार को ऐसे बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति करने के लिए सैफनी नगर स्थित जवाहर पैथोलॉजी लैब की ओर से प्राथमिक कन्या पाठशाला के कई दर्जन बच्चों का निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।विधानकेसरी से बातचीत में जवाहर पैथोलॉजी लैब की संचालिका डॉ0 साहिबा ने बताया कि गरीबी एक दीमक की तरह है जो वर्तमान समय में इंसान को अंदर से खोखला करता जा रहा है। इस गरीबी में बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाना तो और भी अधिक चुनौती पूर्ण कार्य है। वैसे तो अब ऐसे बहुत से सरकारी सुविधाएं गरीबों को दी जा रही है। जिससे उनके बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में कोई दिक्कत न आए लेकिन अफसोस की बात यह है कि आज कल गरीबों की मानसिकता बहुत संकुचित हो चुकी है। वो खुद तय कर लेते हैं कि गरीबी में उच्च शिक्षा की प्राप्ति नहीं हो सकती। ऐसे परिवारों को शास्त्री जी और अंबेडकर साहब के जीवन से प्रेरणा जरूर लेनी चाहिए।
वहीं हमारे देश में लाखों बच्चे ऐसे हैं जो शिक्षा से वंचित हैं जिन बच्चों के हाथ में किताब में होना चाहिए उनके हाथों में भीख का कटोरा या कबाड़ रखने का बोरा है।गरीब का चलते ऐसा काम करना उनकी मजबूरी है शिक्षा के महत्व को समझते हुए डॉक्टर साहिबा यह मानवता की मिसाल पेश कर रही हैं।वे उन तमाम लोगों को संदेश दे रही हैं जो गरीब और जरूरतमंद बच्चों की मदद कर सकते हैं और उनके आने वाले भविष्य बदलने में सहायक बन सकते हैं।